तुम सही हो
ये सही है,
किंतु मेरी बात मानो।
फायदा क्या
इस तरह
तनकर खड़े रहकर भला,
काटने पर
क्यों तुले हो
स्वयं बच्चों का गला ;
बॉस वो है
नाकि तुम हो,
बस अटल यह सत्य जानो।
रीढ़ की हड्डी
झुका लो
और घुटने टेक दो,
काम आएगा
न एफडी
अहं का, अब फेंक दो ;
नौकरी है दोस्त
समझो,
और मत अब रार ठानो।
खुश रहोगे यार
बस यह
सूत्र अपनाओ जरा,
कल सुबह
लेकर मिठाई
घर पे दे आओ जरा ;
रोज चखकर
टिफ़िन उसका,
स्वाद सब्जी का बखानो।
- ओमप्रकाश तिवारी
(6 दिसंबर, 2018)
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