Thursday, December 6, 2018

बॉस

तुम सही हो
ये सही है,
किंतु मेरी बात मानो।

फायदा क्या 
इस तरह 
तनकर खड़े रहकर भला,
काटने पर 
क्यों तुले हो
स्वयं बच्चों का गला ;

बॉस वो है
नाकि तुम हो,
बस अटल यह सत्य जानो।

रीढ़ की हड्डी
झुका लो
और घुटने टेक दो,
काम आएगा
न एफडी
अहं का, अब फेंक दो ;

नौकरी है दोस्त 
समझो,
और मत अब रार ठानो। 

खुश रहोगे यार
बस यह 
सूत्र अपनाओ जरा,
कल सुबह 
लेकर मिठाई 
घर पे दे आओ जरा ;

रोज चखकर 
टिफ़िन उसका,
स्वाद सब्जी का बखानो। 

- ओमप्रकाश तिवारी
(6 दिसंबर, 2018)

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