Sunday, December 2, 2018

बड़े लोग

बड़े लोग हैं
बड़ा अलहदा
उनके घर का तौर-तरीका।
हर कमरे में
इक टीवी है
देखे, जिसको जो पसंद हो,
कोई न खटकाए
साँकल
चार दिनों से भले बंद हो ;
जाना बेटे के
कमरे में
माना जाता नहीं सलीका।
इंतजार
पूरे कुनबे का
करती रहती डाइनिंग टेबल,
मिलते हैं
बस मुँह लटकाए
उस पर दादी-दादा केवल ;
त्यौहारों
में भी रह जाता
स्वाद व्यंजनों का है फीका।
शाम ढले
बेटा जाता है
बेटी लौटे रात गए,
सब अपनी
मर्जी के मालिक
किसको क्या माँ-बाप कहे ;
प्रगतिशील
दुनिया है ये ही
कौन करे इस पर अब टीका।
- ओमप्रकाश तिवारी
(02 दिसंबर, 2018)

No comments:

Post a Comment