Tuesday, December 11, 2018

बताओ बाबू जी

पाँच बरस पहले तो
तुम थे, हम जैसे कंगाल,
शपथपत्र में नए, हो गए
कैसे मालामाल ?
बताओ बाबू जी !

किया कौन उद्योग, बताओ
किया कौन व्यापार,
किस विधि आई इतनी दौलत
आखिर छप्पर फाड़ ;
बताओ बाबू जी !

विरोधियों से हमें लड़ाया
फूटे कई कपार,
कैसे संसद में जाते ही
डाल दिए हथियार ;
बताओ बाबू जी !

डगर-डगर पैदल घूमे, जब
आए पहली बार,
अब पीछे-पीछे चलती हैं
कैसे दस-दस कार ;
बताओ बाबू जी !

क्षेत्र तुम्हारा जस का तस है
तनिक न बदला हाल
सिर्फ तुम्हारी बढ़ी तोंद पर
उठते कई सवाल ;
बताओ बाबू जी !

- ओमप्रकाश तिवारी
(09 दिसंबर, 2018) 

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