बिटिया
सुनती नहीं
कहानी परियों की ।
गुड़िया से न प्यार
न उसके दूल्हे से,
न कोई अनुराग है
चकिया-चूल्हे से ;
बाद जनम के
कितने सावन बीत गए,
कभी न देखा
उसे झूलते झूले से ।
करती है
वह बात
उड़नतश्तरियों की ।
पढ़ती है लिखती है
कॉलेज जाती है,
कम्प्यूटर पर
उँगली तेज चलाती है ;
दादी माँ की सभी
हिदायत सुन-सुन कर,
हौले से जा पास
उन्हें समझाती है ।
अर्जी देती
बड़ी-बड़ी
नौकरियों की ।
है उसमें विश्वास
गगन छू लेने का,
खुद होकर मजबूत
बहुत कुछ देने का ;
तूफानों में भी
कश्ती फँस जाए तो,
अपने दम पर
साहिल तक खे लेने का ।
है मोहताज
नहीं बेटी
देहरियों की ।
(28 अगस्त, 2013)
सुनती नहीं
कहानी परियों की ।
गुड़िया से न प्यार
न उसके दूल्हे से,
न कोई अनुराग है
चकिया-चूल्हे से ;
बाद जनम के
कितने सावन बीत गए,
कभी न देखा
उसे झूलते झूले से ।
करती है
वह बात
उड़नतश्तरियों की ।
पढ़ती है लिखती है
कॉलेज जाती है,
कम्प्यूटर पर
उँगली तेज चलाती है ;
दादी माँ की सभी
हिदायत सुन-सुन कर,
हौले से जा पास
उन्हें समझाती है ।
अर्जी देती
बड़ी-बड़ी
नौकरियों की ।
है उसमें विश्वास
गगन छू लेने का,
खुद होकर मजबूत
बहुत कुछ देने का ;
तूफानों में भी
कश्ती फँस जाए तो,
अपने दम पर
साहिल तक खे लेने का ।
है मोहताज
नहीं बेटी
देहरियों की ।
(28 अगस्त, 2013)
उत्तम रचना . आपकी रचना को " हिंदी ब्लोगर्स चौपाल """http://hindibloggerscaupala.blogspot.com/"> {शुक्रवार} 4/10/2013 मैं शामिल किया गया हैं ताकि आपकी इस उत्तम रचना को अधिक से अधिक लोग पढ़ पाए ...
ReplyDeleteकृपया आप भी अवलोकनार्थ पधारे .... प्रणाम
bahot sundar rachna ..... badhai
ReplyDeleteवाह ...बहुत सुंदर रचना
ReplyDeleteसभी प्रशंसकों का हार्दिक आभार
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