बदले लोग
जमाना बदला
बदला मेरा गाँव रे ।
जमाना बदला
बदला मेरा गाँव रे ।
भाई का
प्रवेश वर्जित है
भाई की ही देहरी में,
पट्टीदारों से
होती है अब
जय राम कचहरी में ;
प्रवेश वर्जित है
भाई की ही देहरी में,
पट्टीदारों से
होती है अब
जय राम कचहरी में ;
बंद हो गई
दुआ - पैलगी
भारी छूना पाँव रे ।
दुआ - पैलगी
भारी छूना पाँव रे ।
नहीं अखाड़ा
कुश्ती - बैठक
ना होती अब दौड़ है,
इक -दूजे की
उन्नति खटके
गिरने की होड़ है ;
कुश्ती - बैठक
ना होती अब दौड़ है,
इक -दूजे की
उन्नति खटके
गिरने की होड़ है ;
रेफ़री थानेदार
दफ़ाओं से
खेलें सब दाँव रे ।
दफ़ाओं से
खेलें सब दाँव रे ।
मुंशी जी की
मार अभी तक
बाबूजी को याद है,
वो कहते हैं
उसके कारण
घर उनका आबाद है ;
मार अभी तक
बाबूजी को याद है,
वो कहते हैं
उसके कारण
घर उनका आबाद है ;
अब शिक्षक
खुद बचते घूमें
दिखे अधर में नाव रे ।
खुद बचते घूमें
दिखे अधर में नाव रे ।
भरी दुपहरी
अजनबियों की
गुड़ संग बुझती प्यास थी,
आधी रात
बटोही आए
दो रोटी की आस थी ;
अजनबियों की
गुड़ संग बुझती प्यास थी,
आधी रात
बटोही आए
दो रोटी की आस थी ;
सिमट गया घर
रिश्तेदारों
की ख़ातिर न ठाँव रे ।
रिश्तेदारों
की ख़ातिर न ठाँव रे ।
( 14 अगस्त, 2013)
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