चौथ के चंदा
निकल आ ।
शरद ऋतु की
पूर्णिमा
आकर गई है,
रात लगने लगी
फिर से
सुर्मई है ;
अब कहीं जाकर
न छिप जा ।
भूख में भी
प्यार का
अहसास है,
प्यास में भी
प्रिय मिलन की
आस है;
उनको अपने
साथ ले आ ।
सोलहो श्रृंगार
फीका
पड़ रहा है,
रंग मेंहदी
कंटकों सा
गड़ रहा है ;
तू परीक्षा
ले रहा क्या !
( करवा चौथ - 2 नवंबर, 2012)
निकल आ ।
शरद ऋतु की
पूर्णिमा
आकर गई है,
रात लगने लगी
फिर से
सुर्मई है ;
अब कहीं जाकर
न छिप जा ।
भूख में भी
प्यार का
अहसास है,
प्यास में भी
प्रिय मिलन की
आस है;
उनको अपने
साथ ले आ ।
सोलहो श्रृंगार
फीका
पड़ रहा है,
रंग मेंहदी
कंटकों सा
गड़ रहा है ;
तू परीक्षा
ले रहा क्या !
( करवा चौथ - 2 नवंबर, 2012)
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