Thursday, November 15, 2012

ताकि सम रह सके हिसाब

ताकि सम रह सके हिसाब

दूर पड़े हैं अम्मा-बाबू
अपनी ममता पे रख काबू
सेवा कर पाना तो दूर
हम अपने सपनों में चूर

मुन्ना अपने संग रहेगा
मत देखो यह प्यारा ख्वाब

पड़ता जब ईश्वर से पाला
नाम जपें हम गिनकर माला
याद नहीं करते बिन स्वारथ
जब तक मिलता रहे पदारथ

इसी तरह से ऊपर वाला
रखता अपनी पूर्ण किताब

सबको लूटा और कमाया
नहीं मदद का हाथ बढ़ाया
न दुख-दर्द किसी का बांटा
बस पैसे से रिश्ता-नाता

बोया जिसने बीज बबूल
नहीं मिलेगा उसे गुलाब

( 16 नवंबर, 2012 )

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