शोकधुन
.............
बज रही है शोकधुन
आया किसी का लाल होगा।
बिजलियाँ उर में तड़पतीं
नयन से बहती हैं गंगा,
वीर को खूद में लपेटे
सिसकता गर्वित तिरंगा;
साथियों के वाद्य का
बिगड़ा हुआ सुर-ताल होगा।
लग रही जयकार होगी,
स्वजन की चीत्कार होगी,
असलहे देंगे सलामी,
पाक को धिक्कार होगी;
आँख में आँसू लिए
उन्नत पिता का भाल होगा।
रो रही होगी प्रिया,
बेटा करेगा सब क्रिया,
दिल पे पत्थर रखके चैनल
लेंगे सबकी प्रतिक्रिया;
रूप ज्वाला का चिता की
दिख रहा विकराल होगा।
दुश्मनी खो जाएगी फिर,
संधियाँ हो जाएंगी फिर,
लीडरों के बीच चुस्की
चाय की हो जाएगी फिर;
सैनिकों की इस नियति पर
मुस्कुराता काल होगा।
- ओमप्रकाश तिवारी
.............
बज रही है शोकधुन
आया किसी का लाल होगा।
बिजलियाँ उर में तड़पतीं
नयन से बहती हैं गंगा,
वीर को खूद में लपेटे
सिसकता गर्वित तिरंगा;
साथियों के वाद्य का
बिगड़ा हुआ सुर-ताल होगा।
लग रही जयकार होगी,
स्वजन की चीत्कार होगी,
असलहे देंगे सलामी,
पाक को धिक्कार होगी;
आँख में आँसू लिए
उन्नत पिता का भाल होगा।
रो रही होगी प्रिया,
बेटा करेगा सब क्रिया,
दिल पे पत्थर रखके चैनल
लेंगे सबकी प्रतिक्रिया;
रूप ज्वाला का चिता की
दिख रहा विकराल होगा।
दुश्मनी खो जाएगी फिर,
संधियाँ हो जाएंगी फिर,
लीडरों के बीच चुस्की
चाय की हो जाएगी फिर;
सैनिकों की इस नियति पर
मुस्कुराता काल होगा।
- ओमप्रकाश तिवारी
No comments:
Post a Comment