Friday, October 3, 2014

लेकिन कन्या ---

भौजी पुत्र चाह में
पूरे नौ दिन
व्रत नवरात्र रहीं,
घी का दीप जलाकर
श्रद्धा की
गंगा में खूब बहीं ;

पूर्णाहुति के लिए
खीर संग
तलीं पूड़ियाँ खिली-खिली,

लेकिन कन्या नहीं मिलीं।

हरियाणा के
कई घरों में
पुत्रों से परिवार भरा,
किंतु कमी
बस एक चीज की
कई गले न हार पड़ा;

पढ़े-लिखे हैं
भैंस बँधी हैं
और नौकरी मिली भली,

पर दुलहनियाँ नहीं मिली।

ममता माँ की
प्रेयसि का भी
प्यार मिला तरुणाई में,
पर जीवन भर
बँधा न धागा
सूनी पड़ी कलाई में ;

दादी का
आशीष मिला
माँ दूधों-पूतों खूब फलीं

लेकिन बहना नहीं मिली।

( 3 अक्तूबर, 2014)
दशहरे की शाम

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