घूमिए
भारत सफारी ।
देखिए
महलों में रहते
दीमकों के ढेर हैं,
मूषकों की
बिल में दुबके
बैठे बब्बर शेर हैं;
घास खाकर
सो रही है,
सिंहनी घायल बेचारी ।
गिरगिटों की
हर प्रजाति
भी यहां मौजूद है,
घर बया का
बंदरों ने
किया नेस्तनाबूद है;
बाघ-चीते
कर रहे हैं
सियारों के घर बेगारी ।
दोमुँहे
साँपों की बस्ती
भी यहां आबाद है,
गर्दभों के
राग पर मिलती
हमेशा दाद है;
कोयलों के
सुर पे कौवों की
हुई अब तान भारी ।
लाल फीतों में बंधे
कितने ही
ऐरावत खड़े,
शुतुरमुर्गों
के यहां पर
शीश दिखते हैं गड़े;
लोमड़ी ने
राजरानी
की गजब पोशाक धारी ।
(30 मई, 2013)
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