Monday, April 8, 2013

ख़तरनाक हैं दुश्मन से

ख़तरनाक हैं
दुश्मन से, जो
अंदर-अंदर चाल रहे ।

सीमा पर के
तोप - मिसाइल, वाले
दुश्मन भले सही,
खंजर लेकर
वो हाथों में, मिलते हैं
ना गले सही ;

किंतु यहाँ तो
मुँह में मिसरी
लेकिन टेढी चाल रहे ।

हाथ मिलाना
गले लगाना
मीठी-मीठी बात करें,
सत्ता की
चाभी मिल जाए
तो सारे मिल घात करें;

फाड़ो गला
लगाओ नारे
उनकी मोटी खाल रहे ।

एक गया
दूजा आएगा
परिवर्तन की आस नहीं,
यहां कुएं में
भाँग मिली है
किसी को होश-हवास नहीं;

दशा-दिशा
कैसे सुधरेगी
जब उल्लू हर डाल रहे ।

( 09 अप्रैल, 2013)

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