होलिके
स्वागत तुम्हारा !
हिरण्यकश्यपु
की व्यवस्था
आज भी आबाद है,
हाथ जोड़े
आस में, प्रभु की
खड़ा प्रह्लाद है ;
आजमा लो
बल तुम्हारा !
अब तेरे
स्नान ख़ातिर
हर तरफ ही आग है,
किंतु
तेरी चूनरी में
एक छल का दाग है ;
सोच लो
आगत दुबारा !
आज भी
भाई-भतीजावाद
की भरमार है,
झूठ-सच में
एक चुनना
पर तेरा अधिकार है ;
क्या नहीं
काफी इशारा !
(21 मार्च, 2013)
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