कितना नीचे और गिरोगे ?
च्च...च्च...च्च !
च्च...च्च...च्च !!
मर्यादा का ज्ञान रहा, न
रिश्तों का ही भान रहा
पापों के दुष्परिणामों का
न तुमको अनुमान रहा
ईश्वर से भी नहीं डरोगे ?
च्च...च्च...च्च !
च्च...च्च...च्च !!
मानवता को गोड़ रहे हो
कच्ची कलियाँ तोड़ रहे हो
तुम जैसे ही दुष्ट नराधम
इस समाज के कोढ़ रहे हो
कब तक सीताहरण करोगे ?
च्च...च्च...च्च !
च्च...च्च...च्च !!
रोज तुम्हें जाता है कोसा
किस पर दुनिया करे भरोसा
तुम जैसे कलि दैत्य रूप को
भला किसलिए जाए पोसा
सबकी नजरों में अखरोगे ।
च्च...च्च...च्च !
च्च...च्च...च्च !!
- ओमप्रकाश तिवारी
च्च...च्च...च्च !
च्च...च्च...च्च !!
मर्यादा का ज्ञान रहा, न
रिश्तों का ही भान रहा
पापों के दुष्परिणामों का
न तुमको अनुमान रहा
ईश्वर से भी नहीं डरोगे ?
च्च...च्च...च्च !
च्च...च्च...च्च !!
मानवता को गोड़ रहे हो
कच्ची कलियाँ तोड़ रहे हो
तुम जैसे ही दुष्ट नराधम
इस समाज के कोढ़ रहे हो
कब तक सीताहरण करोगे ?
च्च...च्च...च्च !
च्च...च्च...च्च !!
रोज तुम्हें जाता है कोसा
किस पर दुनिया करे भरोसा
तुम जैसे कलि दैत्य रूप को
भला किसलिए जाए पोसा
सबकी नजरों में अखरोगे ।
च्च...च्च...च्च !
च्च...च्च...च्च !!
- ओमप्रकाश तिवारी
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