त्राहिमाम् !प्रभु त्राहिमाम् !!
देखा आज़ादी का अनुभव,
देखा नेताओं का उद्भव,
तब रानी एक अकेली थी,
अब राजा आते हैं नव-नव ;
हम तो जस के तस हैं गुलाम !
कलम बंद कर बैठा अफसर,
ऊँघ रहा है सारा दफ्तार,
गाँधी के दर्शन हो जाएँ,
तो चपरासी ही ताकतवर ;
हाउसफुल नंगों से हमाम !
पति-पत्नी का परिवार बचा,
वह भी तूने क्या खूब रचा,
दोनों मोबाइल से चिपके,
हैं उसपर उँगली रहे नचा ;
इंटरनेट से होती सलाम !
(09 नवंबर, 2013)
No comments:
Post a Comment