Saturday, November 9, 2013

त्राहिमाम्


त्राहिमाम् !प्रभु त्राहिमाम् !!

देखा आज़ादी का अनुभव,
देखा नेताओं का उद्भव,
तब रानी एक अकेली थी,
अब राजा आते हैं नव-नव ;

हम तो जस के तस हैं गुलाम !

कलम बंद कर बैठा अफसर,
ऊँघ रहा है सारा दफ्तार,
गाँधी के दर्शन हो जाएँ,
तो चपरासी ही ताकतवर ;

हाउसफुल नंगों से हमाम !

पति-पत्नी का परिवार बचा,
वह भी तूने क्या खूब रचा,
दोनों मोबाइल से चिपके,
हैं उसपर उँगली रहे नचा ;

इंटरनेट से होती सलाम !


(09 नवंबर, 2013)

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