मोक्ष-मुक्ति में बात कहाँ वह
जो नश्वर संसार में है
कौशल्या देवकी यशोदा
खेले गोद राम से योद्धा
वंचित रहकर इस ममता से
बना आज तक कौन पुरोधा
देवलोक में बात कहाँ वह
जो इक माँ के प्यार में है
मृग के लिए सिया का अड़ना
रुक्मिणि का राधा से लड़ना
पार्वती का शिव की खातिर
कई-कई जन्मों में पड़ना
उर्वशियों में बात कहाँ वह
जो प्रिय की मनुहार में है
खाना छीन के चना-चबेना
फिर दो लोक मित्र को देना
दुर्योधन के लिए कर्ण का
भाई के वध का व्रत लेना
इंद्रसभा में बात कहां जो
मित्रों से तकरार में है
( 21 फरवरी, 2013 - कुंभ, अयोध्या और काशी की यात्रा से लौटकर)
No comments:
Post a Comment