Tuesday, October 16, 2018

गाँधी

ऊँ
.....
याद तो हर मोड़ पर
तुम आज भी
आते हो गाँधी।

याद है 'हे राम' कहकर
अचानक
दुनिया से जाना,
प्रार्थना में 'रामधुन' ही
हर सुबह
औ शाम गाना ;

नाम यह लेने पे उठती
आज तो 
हर ओर आँधी।

सत्य के प्रति
था अटल
मासूम सा आग्रह तुम्हारा,
था इसी हथियार से
तुमने 
फिरंगी को पछाड़ा ;

आज कर्कश
लग रही है
सत्य की वो ही मुनादी।

सूत-चरखा
औ रुई संग
नाचती हाथों से तकली,
अब विदेशी ब्रांड पर
फैली हुई
मुस्कान नकली ;

आज 
सत्ता की गली में
गालियाँ खाती है खादी।

लीडरों की फौज
मरती
दिख रही है वोट पर,
और बापू 
तुम बचे हो
आज केवल नोट पर ;

है उसी तस्वीर का
अब हो चुका
यह देश आदी।

- ओमप्रकाश तिवारी

(बापू की 149वीं जयंती 2 अक्टूबर, 2018 को रचा गया नवगीत)

No comments:

Post a Comment