Wednesday, May 31, 2017

लिखा पुत्र का नाम


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माँ की हत्या हुई,
पुत्र का लिखा रपट में नाम !
अरे हम कहाँ जा रहे राम !!
मिला न तन का दूध,
मिला ना आँचल वाला प्यार;
आँख खुली तो गोद धाय की,
जुड़ें कहाँ से तार ?
दिख रहा है प्रभुजी परिणाम ।
निकले सुबह शाम को लौटे,
मुलाकात दो जून;
घर पर भी स्मार्ट फ़ोन की
लत से दुनिया सून ।
चले कब उसकी उँगली थाम ?
सुबह-शाम पैसा, बस पैसा,
दिखे न कहीं सुकून;
रिश्ते-नाते बर्फ हो गए,
बचा गर्म बस खून।
सोचिए, क्या होगा अंजाम !
- ओमप्रकाश तिवारी

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